Alchemist (In Hindi) [Repr. ed.]
 8186685693, 9788186685693 [PDF]

  • 0 0 0
  • Suka dengan makalah ini dan mengunduhnya? Anda bisa menerbitkan file PDF Anda sendiri secara online secara gratis dalam beberapa menit saja! Sign Up
File loading please wait...
Citation preview

प्रस्तावना 25 साल पहले, जब पहली बार द अल्के मिस्ट िेरे देश ब्राजील िें छपी तो ककसी ने इस ककताब पर ध्यान नहीं कदया. िेरे देश के सुदरू उत्तर पूवी कोने के एक पुस्तक मवक्रेता ने िुझे बताया कक मसर्फ एक इं सान ने ररलीज होने के एक हफ्ते के भीतर इस ककताब की एक प्रमत खरीदी थी. ककताब की दूसरी प्रमत को मबकने िें छः हफ्ते और लग गए और इसे भी उसी इं सान ने खरीदा मजसने पहली प्रमत खरीदी थी. और कौन जाने तीसरी प्रमत ककतने कदनों के बाद मबकी थी. साल के आमखर तक यह सार् हो गया था कक द अल्के मिस्ट नहीं चलेगी. िेरे िूल प्रकाशक ने िुझसे नाता तोड़ने का र्ै सला ककया और हिारे कॉन्ट्रैक्ट को रद्द कर कदया. उन्ट्होंने खुद को पूरी तरह इस प्रोजेक्ट से अलग कर कदया. िेरी उम्र तब 41 साल की थी और िेरे पूरी तरह हताश हो चुका था. लेककन िैंने कभी इस ककताब पर से अपना भरोसा उठने नहीं कदया. क्यों? क्योंकक इस ककताब िें िैं ही था. इसिें िेरा कदल था, िेरी आत्िा थी, िैं अपने ही कदए हुए रूपक को जी रहा था. एक आदिी अपनी यात्रा पर मनकलता है और अपने ख़जाने की तलाश िें खूबसूरत जादुई जगह के सपने देखता है. इस यात्रा के खत्ि होने पर उसे एहसास होता है कक ख़जाना तो दरअसल उसके भीतर ही था. िैं अपनी मनजी मनयमत का पीछा कर रहा था और िेरा ख़जाना… मलखने की िेरी कामबमलयत थी, िैं इस ख़जाने को दुमनया से बांटना चाहता था. जैसा कक िैंने द अल्के मिस्ट िें मलखा भी है कक अगर आप ककसी चीज को बड़ी मशद्दत से चाहते हैं तो पूरी कायनात उससे आपको मिलवाने िें आपके मलए सामजश रचती है.िैंने कई प्रकाशकों के दरवाजे खटखटाना शुरू ककया. एक दरवाजा खुला और प्रकाशक ने िुझ पर िेरी इस ककताब पर भरोसा जताया और इस ककताब को दूसरा िौका देने का र्ै सला ककया. धीरे -धीरे इस ककताब के बारे िें एक ने दूसरे को बताया और उस साल पहले तीन हजार, कर्र छः हजार, कर्र दस हजार ककताबें मबकीं. 8 िहीने के बाद, ब्राजील की यात्रा पर आए अिेररकी व्यमि ने ककताबों की एक छोटी सी दुकान से यह ककताब उठाई. वो इस ककताब का अनुवाद करना चाहता था और अिेररका िें पमललशर ढू ंढने िें िेरी िदद करना चाहता था. हॉपफरकॉललंस ने इस ककताब को अिेररकी पाठकों के मलए प्रकामशत करने का र्ै सला ककया और ख़ूब धूिधाि के साथ यह ककताब आईः न्ट्यूयॉकफ टाइम्स सिेत कई बड़े अख़बारों और पत्र-पमत्रकाओं िें मवज्ञापन छपे, रे मियो और टीवी इं टरव्यू हुए लेककन ककताब को मबकने िें कर्र भी वि लगा और अिेररका िें भी ककताब धीरे -धीरे एक से दूसरे के जररए अपने पाठक ढू ंढती रही, ठीक ब्राजील की तरह. और कर्र एक कदन एक तस्वीर आयी, व्हाइट हाउस से मनकलते हुए मबल लक्लंटन के हाथों िें यह ककताब थी. कर्र िेिोना ने वैमनटी र्े यर िें इसका म़िक्र ककया और कर्र मवल मस्िथ से लेकर रश मलम्बॉ, कॉलेज स्टू िेंट्स से लेकर छात्रों की िााँओं ने इस ककताब के बारे िें बात करनी शुरू की. द अल्के मिस्ट धीरे -धीरे अपने आप ही एक अद्भुत चीज बन गई. ककताब द न्ट्यूयॉकफ टाइम्स की बेस्टसेलर सूची िें आ गई और 300 हफ्तों तक उस सूची िें रटकी रही. यह ककसी भी लेखक के मलए एक बड़ी बात है. इस ककताब का 80 से ज्यादा भाषाओं िें अनुवाद हो चुका है और अब तक के ककसी भी जीमवत लेखक की यह सबसे ज्यादा अनुकदत होने वाली ककताब है. इतना ही नहीं इस ककताब को बीसवीं सदी की दस श्रेष्ठति ककताबों िें से एक िाना जाता है. लोग िुझसे अक्सर पूछते हैं कक क्या िुझे िालूि था कक द अल्के मिस्ट इतनी बड़ी सर्लता हामसल करे गा? जवाब है – नहीं. िुझे जरा भी अंदाजा नहीं था.



और हो भी कै से सकता था? जब िैं यह ककताब मलखने बैठा था तो मसर्फ इतना जानता था कक िुझे अपनी रूह मलखनी है. िैं अपने ख़जाने की खोज के बारे िें मलखना चाहता था. िैं शकु न मचन्ट्हों का अनुसरण करना चाहता था क्योंकक िैं जानता था कक शकु न मचह्न ईश्वर की भाषा होते हैं. हााँलाकक द अल्के मिस्ट अपनी 25वीं सालमगरह िना रहा है, लेककन इसिें गुजरे हुए कदनों के ही अवशेष भर नहीं है. यह ककताब अभी भी उतनी ही जीमवत है. िेरे कदल और िेरी आत्िा की तरह यह हर रो़ि िुझिें जी रही है क्योंकक इस ककताब िें िेरा कदल और िेरी आत्िा है. िैं ख़जाने की खोज िें मनकला सैंरटयागो गड़ेररया हाँ. ठीक उसी तरह जैसे आप अपने खजाने की तलाश िें मनकले सैंरटयागो गड़ेररया हैं. इस एक इन्ट्सान की कहानी सब की कहानी है. इस एक इन्ट्सान की खोज इं सामनयत की खोज है और इसमलए िुझे इस बात का यकीन है कक द अल्के मिस्ट आने वाले कई सालों तक दुमनया के अलग अलग कोनों िें अलग अलग संस्कृ मतयों के लोगों को भी भावनात्िक रूप से और आध्यामत्िक रूप से उतना ही प्रभामवत कर पाएगी. िैं अक्सर द अल्के मिस्ट बार बार पढा करता हं और हर बार िुझे वही अद्भुत अनुभूमतयां तरं मगत करती है जो िैंने इसे मलखते हुए िहसूस की थी और िुझे सुख का अहसास होता है इसमलए क्योंकक यह ख़़ुशी मजतनी ही िेरी है उतनी ही आप सबकी भी है इससे िेरे भीतर उम्िीद बनी रहती है. िुझे इसमलए भी खुशी होती है कक िैं कहीं भी जाऊं, अके ला नहीं हं. जहां भी जाऊं लोग िुझे सिझेंगे. िेरी आत्िा को सिझेंग.े जब िैं दुमनया भर िें र्ै ले संघषों के बारे िें सोचता हाँ – चाहे वे राजनैमतक हों, आर्थफक हों या कर्र सांस्कृ मतक. िुझे यह आभास होता है कक दुमनया को जोड़ने के मलए पुल बनाने की क्षिता हिारे भीतर ही है. िेरा पड़ोसी िेरा िजहब या िेरी राजनीमत नहीं भी सिझता हो तो िेरी कहानी तो सिझ ही सकता है अगर वह िेरी कहानी सिझ सकता है तो िुझसे बहुत दूर नहीं है. यह िुझ पर है कक िैं पुल बनाऊं या नहीं. सुलह और दोस्ती की गुंजाइश हिेशा होती है. इस िौके की भी गुंजाइश होती है कक एक कदन हि दोनों िेज के आर पार साथ साथ बैठेंगे और संघषों के इस इमतहास को ख़त्ि कर देंगे और उस एक कदन वह िेरी कहानी सुनायेगा और िैं उसकी. – पाउलो कोएल्हो, 2014



[इस प्रस्तावना और भूमिका को ऑमियोबुक से संकमलत करने का काि िनीष ने ककया है, 25वें संस्करण की प्रस्तावना और भूमिका का अनुवाद अनु लसंह ने ककया है.]



भूमिका कीमियागर ने काकर्ले िें चल रहे ककसी िुसाकर्र की एक ककताब उठा ली. पन्ने पलटते हुए उसे नार्सफसस की कहानी मिली. कीमियागर उस नौजवान नार्सफसस की ककवदंती के बारे िें सुन चुका था जो एक झील के ककनारे घुटनों पर रो़ि बैठकर अपनी ही परछाई का सौंदयफ मनहारा करता था. वह अपने आप पर इतना ही आसि था कक एक सुबह झील िें मगरा और िू ब गया. मजस जगह पर जा मगरा था, उस जगह पर एक र्ू ल मखला और उसका नाि पड़ा – नार्सफसस यामन नरमगस. लेककन लेखक ने ककताब िें ऐसे कहानी खत्ि नहीं की थी. उसने मलखा था कक जब नार्सफसस िरा, तो वनदेमवयााँ प्रकट हुईं और उन्ट्होंने ताजे पानी की झील को खारे आाँसुओं की झील िें बदलते हुए देखा. “तुि रो क्यों रही हो?” वनदेमवयों ने पूछा. “िैं नार्सफसस के मलये रो रही हाँ” – झील ने जवाब कदया. “आह, हैरानी की बात नहीं कक तुि नार्सफसस के मलये रो रही हो, हााँलाकक हिने भी जंगल से उसका सौंदयफ देखा था लेककन उस सौंदयफ को इतने नजदीक से तुि ही देख और सिझ पाई थी.” “लेककन… क्या नार्सफसस सुन्ट्दर था?” – झील ने पूछा. “तुिसे बेहतर यह कौन जानता होगा? आमखर, तुम्हारे ककनारों पर ही तो हर रोज घुटने टेक कर वो खुद को मनहारा करता था.” वनदेमवयों की आवाज िें हैरत थी. झील कु छ देर तक ख़ािोश रही. आमखरकार उसने कहाः िैं नार्सफसस के मलए रो तो रही हाँ, लेककन िैंने उसके सौंदयफ पर ध्यान ही नहीं कदया था. िैं तो इसमलए रो रही हाँ क्योंकक जब वह घुटने टेक कर िेरे ककनारों पर बैठे हुए िुझ िें झााँका करता था, िैं उसकी आाँखों िें अपनी खूबसूरती की परछाईं देख पाती थी. “ककतनी खूबसूरत कहानी है”, कीमियागर ने सोचा.



महन्ट्दी ऑमियोबुकः https://soundcloud.com/manishy/the-alchemist-hindi-edition



[अब किलेश्वर द्वारा अनुवाद की गयी – द अल्के मिस्ट]